ढीमरखेड़ा तहसील तो वैसे ही हरियाली से आच्छादित है, यहां पर इको टूरिज्म, लॉन्ग ड्राइव इन सबके आनंद आप ले सकते हैं। यहां की वनस्पति अभी भी उसी अवस्था में है जो जिसे हम मूल प्राकृतिक अवस्था कह सकते हैं। प्राकृतिक वनस्पति के अलावा यहां पर धार्मिक रूप से भी कई ऐसे स्थान विद्यमान है जो प्राचीन है और वर्षों से लोगों की आस्था के केंद्र है।

ढीमरखेड़ा तहसील के सिलोड़ी पाली गांव में 24 भुजी विरासिन माता का मंदिर प्रसिद्ध है। जहाँ बिरसिंहपुर पाली की प्रतिमा अष्टभुजी है और छत्तीसगढ़ के हरवाह में स्थापित विरासिन माता की प्रतिमा दो भुजी है वहीं इस लिहाज से ढीमरखेड़ा पाली में विराजी प्रतिमा 24 भुजी होने के कारण अपने आप में अद्भुत है। प्रतिमा काले पत्थर से निर्मित है, मंदिर का इतिहास लगभग एक हजार साल पुराना बताया जाता है।
जिला मुख्यालय से 100 किमी. दूर जंगल में स्थित मंदिर में माता के दर्शन करने कई जिलों से लोग आते हैं। इस स्थान को पर्यटन विभाग ने अपने संरक्षण में लिया है और भव्य मंदिर के आसपास खुदाई में पुराना कुआं व मंदिर के अवशेष भी निकले थे। यहां को लेकर यह भी मान्यता है कि पहले माता लोगों को पैसा प्रदान करती थीं लेकिन काम पूरा होने के बाद अतिरिक्त पैसे रखकर लोगों को वापस करना होता था।

नवरात्रि में हवन, कीर्तन, भजन, पूजन, जवारे, दर्शन, भंडारा आदि कार्यक्रमों में क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में हिस्सा लेते हैं माँ बिरासिनी के अद्भुत स्वरूप के कारण कारण दूर-दूर से लोग दुर्लभ दर्शन हेतु आते हैं और उन्हें सर्व मनोकामना पूर्ण करने वाली मानते हैं।